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रूपकम्
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drama
Meanings: 30; in Dictionaries: 7
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dramatic play
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play
Meanings: 55; in Dictionaries: 11
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त्रिपुरदहनः
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त्रिपुरदाहः
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द्रौपदीस्वयंवरः
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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रूपक अलङ्कारः
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नृत्यनाटिका
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अभिनेय
Meanings: 7; in Dictionaries: 6
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खण्डः ३ - अध्यायः ०१४
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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महावाक्यविवेकः - श्लोक १ ते ८
'सार्थपंचदश्याम्' या ग्रंथात श्रीशंकराचार्यांनी मानवाच्या आयुष्यातील तत्वज्ञान सोप्या भाषेत विशद केले आहे.
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रूपक
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विरुद्ध
Meanings: 50; in Dictionaries: 11
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अध्याय ३० - मण्डलविधिः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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शङ्कराख्यः षष्ठोऽम्शः - पञ्चत्रिंशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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प्रसन्न काण्ड: - सर्ग ११
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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रावणवध - भाग १०
संस्कृत भाषेतील काव्य, महाकाव्य म्हणजे साहित्य विश्वातील मैलाचा दगड होय, काय आनंद मिळतो त्याचा रसास्वाद घेताना, स्वर्गसुखच, त्यातीलच एक काव्य म्हणजे कवी भट्टि रचित रावणवध.
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चमत्कारचन्द्रिका - अष्टमो विलासः
श्रीहरिची माला आणि श्रीराधाचा मुक्ताहार यांची ही कथा आहे.
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षष्ठकाण्ड: - ११ ते १५
पैप्पलादसंहिता
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नवमोऽध्यायः
विश्वकर्मकृतायां वास्तुशास्त्रे वास्तुविद्या
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विमानादिचतुष्षष्टिप्रासादलक्षणं नामैकोनषष्टितमोऽध्यायः - १५१ ते २००
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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अथ क्रियापादः - प्रासादवास्तु लक्षणपटलः
सुप्रभेदागमः म्हणजे शिल्पशास्त्र ह्या विषयावरील महत्वपूर्ण ग्रंथ.
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क्रियापदः - प्रासादवास्तु लक्षणपटलः
सुप्रभेदागमः
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शङ्कराख्यः षष्ठोऽम्शः - अष्टमोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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शङ्कराख्यः षष्ठोऽम्शः - एकोनत्रिंशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १२०
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः २३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः २४९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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मानसारम् - गर्भविन्यासविधानम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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मानसारम् - पदविन्यासलक्षणम्
'मानसारम्' वास्तुशास्त्रावरील एक प्राचीन ग्रंथ आहे.
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मानसारम् - स्तम्भलक्षणम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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साहित्य दर्पण - दशमः परिच्छेदः
साहित्य दर्पण संस्कृत भाषा में साहित्य-विषयक महान ग्रन्थ है। इसके रचयिता विश्वनाथ हैं। साहित्य दर्पण के रचयिता का समय 14वीं शताब्दी ठहराया जाता है।
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